इंसानियत का धर्म

धर्म क्या है?
इसे जाने बिना ही इंसान,
अपने खुद के अर्थ बना रहा है।
इसे जाने बिना ही इंसान,
इंसानियत का धर्म भूलते जा रहा है।
धर्म क्या है?
इसे जाने बिना ही इंसान,
बड़े-बड़े उपदेश दिए जा रहा है।
इसे जाने बिना ही इंसान,
इंसानियत का धर्म भूलते जा रहा है।
धर्म क्या है?
इसे जाने बिना ही इंसान,
गलत आदतें अपना रहा है।
इसे जाने बिना ही इंसान,
इंसानियत का धर्म भूलते जा रहा है।
धर्म क्या है?
इसे जाने बिना ही इंसान,
हिंसा को अपना रहा है।
इसे जाने बिना ही इंसान,
इंसानियत का धर्म भूलते जा रहा है।
धर्म क्या है?
इसे जाने बिना ही इंसान,
अधर्म किए जा रहा है।
इसे जाने बिना ही इंसान,
इंसानियत का धर्म भूलते जा रहा है।
धर्म क्या है?
इसे जाने बिना ही इंसान,
भेदभाव किए जा रहा है।
इसे जाने बिना ही इंसान,
इंसानियत का धर्म भूलते जा रहा है।
धर्म क्या है?
इसे जाने बिना ही इंसान,
मजहब को बाँट रहा है।
इसे जाने बिना ही इंसान,
इंसानियत का धर्म भूलते जा रहा है।
धर्म क्या है?
इसे जाने बिना ही इंसान,
इसके अलग-अलग नाम रख रहा है।
इसे जाने बिना ही इंसान,
इंसानियत का धर्म भूलते जा रहा है।
हे! इंसान सून तू आखिर क्या होता अर्थ है इस धर्म का।
जिंदगी में जो करना चाहिए धारण वहीं होता अर्थ है इस धर्म का।
नैतिक मूल्यों का आचरण होता अर्थ है इस धर्म का।
चेतना का शुद्धिकरण होता अर्थ है इस धर्म का।
कर्तव्यों का पालन करना होता अर्थ है इस धर्म का।
अहिंसा के साथ न्याय करना होता अर्थ है इस धर्म का।
सदाचरण से जीवन को चरितार्थ करना होता अर्थ है इस धर्म का।
सद्गुणों का विकास करना होता अर्थ है इस धर्म का।
सभी इंसान हैं एक समान,
बस तू ये मान ले हे इंसान,
तू जान जाएगा अर्थ इस धर्म का।
इंसानियत का तू धर्म अपना ले जान जाएगा अर्थ इस धर्म का।

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