ये दिल एक पक्षी है
ये दिल ही है जो ऊँचा उड़ने का ख़्वाब दिखाता है,
मगर जैसे पक्षी थक कर ज़मीं पर अपने पैर रखता है,
दिल को भी मजबुरन अपनी ज़मीं पर लौटना पड़ता है,
मगर जैसे पक्षी मरते दम तक उड़ना नहीं भूलता है,
ख़्वाबों को भी दिल से कभी मिटाया नहीं जा सकता है,
ये दिल एक पक्षी है, जो उड़ता ही जाता है, उड़ता ही जाता है......
मगर जैसे पक्षी थक कर ज़मीं पर अपने पैर रखता है,
दिल को भी मजबुरन अपनी ज़मीं पर लौटना पड़ता है,
मगर जैसे पक्षी मरते दम तक उड़ना नहीं भूलता है,
ख़्वाबों को भी दिल से कभी मिटाया नहीं जा सकता है,
ये दिल एक पक्षी है, जो उड़ता ही जाता है, उड़ता ही जाता है......
Very nice poem,
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