मैं नासमझ ही सही
इस दुनिया को समझने के लिए समझदार होना जरूरी है,
मगर मैं समझ कर भी इस दुनिया को समझना नहीं चाहता।
तो फिर इसका मतलब ये थोड़ी हुआ कि मैं समझदार नहीं।
हां, ये बात अलग है कि मैं क्यों नहीं चाहता इस दुनिया को समझना,
मगर मैं ये बात इस समझदार दुनिया को बताना नहीं चाहता।
क्योंकि ये दुनिया अपनी समझदारी से मुझे समझ सकती नहीं।
भले हीं मुझे दुनिया नासमझ समझे, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता,
नासमझ ही सहीं, मैं किसी को अपनी बातों से बर्गलाना नहीं चाहता।
हां, अगर मेरी बात उसने समझ ली, तो दुनिया समझेगी की वो भी समझदार नहीं।
अब भले ही मुझे नासमझ समझकर मुझसे दूरी बना ले ये दुनिया,
इसका मुझे कोई मलाल नहीं, क्योकिं मैं समझदारी सीखाना नहीं चाहता।
और हर वक्त समझदारी सीखाने समझदार ही मिलेगा ये जरूरी तो नहीं।
- अर्चना केशरी
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