आज के वक्त की राजनीति
राजनीति अब एक व्यंग्य बन कर रह गई है,
आज के वक्त की राजनीति की छवि बेरंग हो गई है।
कोई नेता विदेश भ्रमण में लगा है,
और किसी की बुद्धि अनसन में जम गई है।
समस्याओं का निवारण नहीं है मिल रहा,
नाकामी इनकी देख कर जनता सारी दंग रह गई है।
अपने चुने विकल्प पर खुद को अब धिक्कार रही है,
समस्याएं लेकर अब जाए कहाँ,
सरकार तो आराम फरमाएं घूम रही है।
वादे इतने लम्बे हांके,
अब क्यों रिश्ते से मुंह मोड़ रही है।
एक है की नए नियम बनाकर,
जनता को झंकझोर रही है।
नए भारत का निर्माण कार्य को,
जनता के खून पसीने से जड़ रही है।
लाभदायक है यह कह कर,
बदलाव की भाषा बदल रही है।
कुछ नेता ऐसे उपजे हैं,
राजनीति का उन्हें कोई ज्ञान नहीं है।
जन्मे राजनेता के खून से मगर,
क्या होती है राजनीति उन्हें कुछ मालूम नहीं है।
कमियाँ ढूंढते एक दूसरे में,
गलतियों के ढेर लगाते फिर रही है।
जनता समस्याओं का निवारण,
हिंसा से अब कर रही है।
हो रहा है खूनखराबा और धांधली,
मगर सरकार को पड़ता कुछ फर्क नहीं है।
राजनीति लगने लगी हैं व्यंग्यात्मक,
सरकार जनता से खेल रही है।
आज के वक्त की राजनीति की छवि बेरंग हो गई है।
कोई नेता विदेश भ्रमण में लगा है,
और किसी की बुद्धि अनसन में जम गई है।
समस्याओं का निवारण नहीं है मिल रहा,
नाकामी इनकी देख कर जनता सारी दंग रह गई है।
अपने चुने विकल्प पर खुद को अब धिक्कार रही है,
समस्याएं लेकर अब जाए कहाँ,
सरकार तो आराम फरमाएं घूम रही है।
वादे इतने लम्बे हांके,
अब क्यों रिश्ते से मुंह मोड़ रही है।
एक है की नए नियम बनाकर,
जनता को झंकझोर रही है।
नए भारत का निर्माण कार्य को,
जनता के खून पसीने से जड़ रही है।
लाभदायक है यह कह कर,
बदलाव की भाषा बदल रही है।
कुछ नेता ऐसे उपजे हैं,
राजनीति का उन्हें कोई ज्ञान नहीं है।
जन्मे राजनेता के खून से मगर,
क्या होती है राजनीति उन्हें कुछ मालूम नहीं है।
कमियाँ ढूंढते एक दूसरे में,
गलतियों के ढेर लगाते फिर रही है।
जनता समस्याओं का निवारण,
हिंसा से अब कर रही है।
हो रहा है खूनखराबा और धांधली,
मगर सरकार को पड़ता कुछ फर्क नहीं है।
राजनीति लगने लगी हैं व्यंग्यात्मक,
सरकार जनता से खेल रही है।
Nice lines....
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