वो अक्सर मुझसे पूछा करते हैं
कहाँ गए वो बच्चे मेरे साथ जो खेला करते
थे,
कहाँ गए वो बच्चे मुझ पर जो झुला करते थे,
कहाँ गए वो बच्चे जो पिछली चोट भूलकर,
बार-बार मुझ पर चढ़ जाया करते हैं,
वो अक्सर मुझसे पूछा करते हैं।
कहाँ गए वो लोग मेरी छांव में जो बैठक
करते थे,
कहाँ गए वो लोग मेरी देखभाल जो करते थे,
ऐसी क्या कर दी गलती मैंने,
जो मुझको काटा करते हैं,
वो अक्सर मुझसे पूछा करते हैं।
जब रस्तों से मैं गुजरा करती हूँ,
उनकी नम आँखों को देखा करती हूँ,
अपनी उन नम आँखों से वो,
मुझसे सवाल हमेशा करते हैं,
वो अक्सर मुझसे पूछा करते हैं।
उनको क्या दूं जवाब, मैं ये सोचा करती हूं,
जिनको वो ढुंढा करते हैं, उनको अलग ही
दुनिया में देखा करती हूं,
बच्चों के मासूम चेहरे और लोगों के हंसी-ठहाके,
देखने और सुनने को वो बहुत तरसते हैं,
वो अक्सर मुझसे पूछा करते हैं।
जिनको वो ढूंढा करते हैं,
वो अब बाहर न खेला करते हैं,
बांध कर खुद को चार दिवारों में,
यंत्रों से अब खेला वो करते हैं,
वो अक्सर मुझसे पूछा करते हैं।
यंत्रों ने उन्हें है पकड़ लिया,
अपनी कैद में सबको है जकड़ लिया,
बच्चों की मासूमियत छीन कर,
वो उन्हें शैतान बनाया करते हैं,
वो अक्सर मुझसे पूछा करते हैं।
न कोई अपना उनको दिखता है,
सब पराए से उन्हें लगते हैं,
सारे रिश्ते भुला कर वो,
उन निर्जीव यंत्रों से रिश्ता जोड़ा करते
हैं,
वो अक्सर मुझसे पूछा करते हैं।
तुम पर जब चढ़ कर वो गिरते थे,
अपना खून बहाया वो करते थे,
लेकिन अब वो यंत्रों के खातिर,
अपनो का खून बहाया वो करते हैं,
वो अक्सर मुझसे पूछा करते हैं।
लोग पैसों के बन गए भूखे है,
तुम्हारे फल उनको लगते अब सूखे हैं,
पैसों की लालच में वो,
तुमको काटा करते हैं,
वो अक्सर मुझसे पूछा करते हैं।
सब रिश्ते-नाते हैं टूट गए,
दुनिया में सब हैं रूठ गए,
अब तुमसे रिश्ता वो क्या जोड़ेंगे,
जो अपनो से रिश्ता तोड़ा करते हैं,
वो अक्सर मुझसे पूछा करते हैं।
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